बुधवार, 29 अप्रैल 2009

दिल कि राह


दिल कि राह.......



तुम आये उन्ही राहो से, जिन पर ज़माना चलता है;


वर्ना आँखो से सीधी थी, राहे दिल की........

1 टिप्पणी:

  1. सभी छंद अच्छे लगे , सुंदर अभिव्यक्ति
    आप अच्छा लिखते हैं ,आपको पढ़कर खुशी हुई
    साथ ही आपका चिटठा भी खूबसूरत है ,

    यूँ ही लिखते रही हमें भी उर्जा मिलेगी ,

    धन्यवाद
    मयूर
    अपनी अपनी डगर

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