रविवार, 26 अप्रैल 2009

दिल की कहि



दिल ने आँखो से कही, आँखो से उस तक गई,


बात चली है , तो देखे अब कहाँ तक पँहुचे...


11 टिप्‍पणियां:

  1. स्वागत और शुभकामना

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  2. चित्र काफ़ी व्यंजानात्मक है.
    शब्दों में कंजूसी क्यों?

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  3. bat niklegee to fir door talak jayegee .

    achchee shuruat .

    aapka swagat hai !

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  4. सही कहा.............
    स्वागत है आपका ब्लॉग जगत में

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